Thursday, January 25, 2024

गुलामी की मानसिकता को तोड़कर उठ खड़ा हो रहा राष्ट्...If V S Naipaul Were Alive Today

भारताचे पंतप्रधान नरेन्द्र मोदी:

 "... 22 जनवरी, 2024 का ये सूरज एक अद्भुत आभा लेकर आया है। 22 जनवरी, 2024, ये कैलेंडर पर लिखी एक तारीख नहीं। ये एक नए कालचक्र का उद्गम है। राम मंदिर के भूमिपूजन के बाद से प्रतिदिन पूरे देश में उमंग और उत्साह बढ़ता ही जा रहा था। निर्माण कार्य देख, देशवासियों में हर दिन एक नया विश्वास पैदा हो रहा था। आज हमें सदियों के उस धैर्य की धरोहर मिली है, आज हमें श्रीराम का मंदिर मिला है। गुलामी की मानसिकता को तोड़कर उठ खड़ा हो रहा राष्ट्र, अतीत के हर दंश से हौसला लेता हुआ राष्ट्र, ऐसे ही नव इतिहास का सृजन करता है। आज से हजार साल बाद भी लोग आज की इस तारीख की, आज के इस पल की चर्चा करेंगे। और ये कितनी बड़ी रामकृपा है कि हम इस पल को जी रहे हैं, इसे साक्षात घटित होते देख रहे हैं। आज दिन-दिशाएँ... दिग-दिगंत... सब दिव्यता से परिपूर्ण हैं। ये समय, सामान्य समय नहीं है। ये काल के चक्र पर सर्वकालिक स्याही से अंकित हो रहीं अमिट स्मृति रेखाएँ हैं।..."

After Ram Temple consecration, I went to V S Naipaul's 'India: A Wounded Civilization' , 1977 and reread this:

"...It was at Vijayanagar this time, in that wide temple avenue, which seemed less awesome than when I had first seen it thirteen years before, no longer speaking as directly as it did then of a fabulous past, that I began to wonder about the intellectual depletion that must have come to India with the invasions and conquests of the last thousand years. What happened in Vijayanagar happened, in varying degrees, in other parts of the country. In the north, ruin lies on ruin: Moslem ruin on Hindu ruin, Moslem on Moslem. In the history books, in the accounts of wars and conquests and plunder, the intellectual depletion passes unnoticed, the lesser intellectual life of a country whose contributions to civilization were made in the remote past. India absorbs and outlasts its conquerors, Indians say. But at Vijayanagar, among the pilgrims, I wondered whether intellectually for a thousand years India hadn’t always retreated before its conquerors and whether, in its periods of apparent revival, India hadn’t only been making itself archaic again, intellectually smaller, always vulnerable...."

What would Naipaul (1932-2018)  say now on Jan 23 2024?  


 sculptor Arun Yogiraj